आज के दौर कीबौद्धिक और विकासात्मक दिव्यांगतावाली लड़कियाँ साल में एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन महिला दिवस मनाती हैं। ये बदलती हुई लड़कियाँ अपने साथ-साथ समाज और दुनिया के सोचने का ढंग भी बदल रही हैं, वे अपने हौसले और समर्पण से एक नया संदेश दे रही हैं। शिक्षा और नौकरी के साथ- साथ वह अपना खुद का बिज़नेस करना चाहती हैं। ऐसी ही एक लड़की है सेजल: जिसने मनोविकास शुचितास्कॉलरशिप के माध्यम से अपनी स्कूल की शिक्षा पूरी की ,और साथ ही उसने अपने हाथों से सुंदर कपड़े और कढ़ाई के काम को नया रूप दिया, उसकी सिलाई-बुनाई की कला ने उसे अपनी कला को प्रदर्शित करने और अपने समुदाय में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाने का अवसर भी प्रदान किया। यह उसका एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है । यह न केवल उसकी छोटी-छोटी आर्थिक जरूरतों को पूरा करता है बल्कि उसे आत्मनिर्भर भी बनाता है। साथ ही वह आगे की उच्च शिक्षा को पूरा कर रही है।
सेहजल की तरह, ये लड़कियाँ भी अपनी पूरी क्षमता के साथ न केवल अपने सपनों को साकार कर रही हैं बल्कि समाज की सोच और नजरिए को भी बदल रही हैं। वे दिखा रही हैं कि जब हौसला और मेहनत मिलते हैं, तो कोई भी बाधा उन तक नहीं पहुंच सकती।