अष्ट सिद्धि नौ निधि पर सचेतन में विशेष विचार:
अणिमा, लघिमा, गरिमा, महिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, वशित्व एवं ईशित्व इन आठ सिद्धियों की प्राप्ति ही ऐश्वर्य है।कुबेर के कोष (खजाना) का नाम निधि है जिसमें पद्म, महापद्म, नील, मुकुंद, नन्द, मकर, कच्छप, शंख और खर्व निधि होते हैं
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हमारे जीवन की प्रक्रिया कैसी है |
जीवन (अंग्रेजी: Life) अर्थात हमारे जन्म से मृत्यु के बीच की कालावधि ही जीवन कहलाती है, जो की हमें ईश्वर द्वारा दिया गया एक वरदान है। लेकिन हमारा जन्म क्या… |
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हमारा कर्म, धैर्य, बुद्धि और खुशी ही हमारे सुख दुःख का कारण है |
सभी मनुष्यों की श्रद्धा उनके मन की प्रकृति के अनुरूप होती है। सभी लोगों में श्रद्धा होती है चाहे उनकी श्रद्धी की प्रकृति कैसी भी हो। यह वैसी होती है… |
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अपने पूजा, सधना, यज्ञ, तप, त्याग, दान, ज्ञान और भोजन से प्रकृति के सत्व-रजस्-तमस गुण को समझ सकते हैं। |
प्रकृति में त्रिविध गुण के प्रभाव को आपके द्वारा किए जाने वाले पूजा, सधना, यज्ञ, तप, त्याग, दान, ज्ञान और भोजन आदि में विविधता को समझ सकते हैं और इसका… |
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प्रकृति ही नैसर्गिक/लाज़मी है और सभी भौतिक पदार्थों और हमारे मानसिक तत्वों यथा मन, बुद्धि आदि की भी जननी है। |
प्रकृति अर्थात् ‘प्र = विशेष’ और ‘कृति = किया गया’। स्वाभाविक की गई चीज़ नहीं विशेष रूप से की गई चीज़, ही प्रकृति है। प्रकृति का अर्थ सामान्यतः प्रकृति से… |
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