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चक्र प्राण या आत्मिक ऊर्जा पर विशेष सचेतन के अंक में आपका स्वागत है!

Welcome to the special episodes Sachetan, Focusing Self Awareness of Chakra Prana or Spirit Energy!

भारतीय दर्शन और योग में चक्र प्राण या आत्मिक ऊर्जा के केंद्र होते हैं।मुख्य नाड़ियां इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना (संवेदी, सहसंवेदी और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) से एक वक्र पथ से मेरूदंड से होकर जाती है और कई बार एक-दूसरे को पार करती हैं। आपके सूक्ष्म देह, आपकी ऊर्जा क्षेत्र और संपूर्ण चक्र तंत्र का आधार प्राण है, जो कि ब्रह्मांड में जीवन और ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।

 

In Indian philosophy and yoga, the chakras are centres of prana or spiritual energy. The main nadis, ida, pingala and sushumna (sensory, sympathetic and central nervous systems) run in a curved path through the spine and cross each other several times. The basis of your subtle body, your energy field, and the entire chakra system is Prana, which is the main source of life and energy in the universe.

सात सामान्य प्राथमिक चक्र इस प्रकार हैं:

The seven common primary chakras are as follows:

मूलाधार, Mūlādhāra या रूट चक्र (मेरूदंड की अंतिम हड्डी *कोक्सीक्स*)

स्वाधिष्ठान, Svādhiṣṭhāna त्रिक चक्र (अंडाशय/पुरःस्थ ग्रंथि)

मणिपूर, Maṇipūra सौर स्नायुजाल चक्र (नाभि क्षेत्र)

अनाहत, Anāhata, ह्रदय चक्र (ह्रदय क्षेत्र)

विशुद्ध, Viśuddha, कंठ चक्र (कंठ और गर्दन क्षेत्र)

आज्ञा, Ājñā ललाट या तृतीय नेत्र (चीटीदार ग्रंथि या तृतीय नेत्र)

सहस्रार, Sahasrāra, शीर्ष चक्र (सिर का शिखर; एक नवजात शिशु के सिर का 'मुलायम स्थान')

सिर में अवस्थित निम्न से उच्च के क्रम में चक्र इस प्रकार हैं: गोलता, तालू/तलना/ललना, अजना, तलता/लालता, मानस, सोम, सहस्रार (और इसके अंदर श्री.)

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