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दुःख हम सबके जीवन में है। गरीब हो अमीर हो बलवान हो या प्रधानमंत्री कोई भी दुख से बचा नहीं है। महापुरुष भी जो आये है वो भी दुःख से बचे नहीं है।
सुबह की मिठास किल्लोल दोपहर का उल्लास हम सबको पसंद है लेकिन रात के अंधकार को कोई नहीं चाहता क्योंकि दुःख हम सबको अप्रिय है। दुःख अपना हो या पराया, छोटा हो या बड़ा कोई इससे बचा नहीं है। बिना बुलाये दुःख आता है, रोकने पर भी सुख रुकता नहीं, गए हुए सुख के लिए हम सब तरसते है, आये हुए दुख से घबरा जाते है और फिर सुख आएगा इस तृष्णा में जीते है।
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दुःख जो जीवन का इतना अनिवार्य अंग है जिससे कोई बचा नहीं है क्या वह बुरा है ? भयंकर है, दुष्कर्मों का परिणाम है? |
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“जितनी सुन्दर वाणी उतना ही सुन्दर विचार” |
दुःख हम सबके जीवन में आता है और हम सब दुःख आते ही बहुत परेशान होने लगते हैं। हम सोचते हैं रोना- धोना ही दुःख होता है, लेकिन अरविन्द सर को सुनने के बाद हमे समझ आया की दुःख के भी अनंत प्रकार होते हैं, और कैसे हम दुःख का उपयोग कर के आगे बढ़ सकते हैं। |
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सचेतन |
जब हम स्वास्थ्य की बात करते हैं तो दिमाग सबसे ज्यादा मायने रखता है।मनोविकास द्वारा कोरोना महामारी में सचेतन की शुरुआत की गई थी। सचेतन मस्तिष्क विज्ञान पर आधारित एक उपयोगी उपकरण है, जिसका उपयोग हम अपनी दक्षता, उत्पादकता और किसी भी तनाव से निपटने के तरीकों में सुधार के लिए अपने जीवन में एक आदत के रूप में करते हैं। |
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सुचिता छात्रवृत्ति (SHUCHITA SCHOLARSHIP) |
मनोविकास मे बौद्धिक और विकासात्मक रूप से दिव्यांग लड़कियों/ महिलाओ को सुचिता छात्रवृति कार्यक्रम द्वारा समावेशी कौशल विकास और उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। सुचिता छात्रवृत्ति के लिए मनोविकास से संपर्क करे। |
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मनोविकास के माध्यम से बौद्धिक और विकासात्मक रूप से दिव्यांग लोगो में आत्मविश्वास विकसित करने, और अपने भविष्य के लिए सपने विकसित करने का मौका दिया जाता है, जो समावेशी समाज में शामिल हैं और परिवार के लिए कमाई करने वाले सदस्य बनने का मौका दिया जाता है।
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Manovikas Charitable Society
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