दुख से आनंद की ओर….From Pain to Bliss
- Posted by Pooja Kumari
- Categories Sachetan, Wellness
- Date April 25, 2022
दुख से आनंद की ओर....By Shri. Arvind Sharda ji, Spiritual Speaker
दुःख हम सबके जीवन में है। गरीब हो अमीर हो बलवान हो या प्रधानमंत्री कोई भी दुख से बचा नहीं है। महापुरुष भी जो आये है वो भी दुःख से बचे नहीं है।
सुबह की मिठास किल्लोल दोपहर का उल्लास हम सबको पसंद है लेकिन रात के अंधकार को कोई नहीं चाहता क्यों की दुःख हम सबको अप्रिय है। दुःख अपना हो या पराया, छोटा हो या बड़ा कोई इससे बचा नहीं है। बिना बुलाये दुःख आता है, रोकने पर भी सुख रुकता नहीं, गए हुए सुख के लिए हम सब तरसते है, आये हुए दुख से घबरा जाते है और फिर सुख आएगा इस तृष्णा में जीते है।
दुःख जो जीवन का इतना अनिवार्य अंग है जिससे कोई बचा नहीं है क्या वह बुरा है ? भयंकर है, दुष्कर्मों का परिणाम है?
एक महान फिलोसोफर (German philosopher Leibnitz ) ने कहा है “This is the best possible world created by god”
अगर यह बेस्ट है तो इसमें दुःख का कोई स्थान ही नहीं होना चाहिए, लेकिन संसार के अधिकांश भाग में दुःख भरा पड़ा है और सुख कम है।
दुख हमारे दुष्कर्मों का परिणाम नहीं बल्कि कृपा पुरीत विधाता की अनुपम देन है।
जिन लोगो ने दुःख का सदुपयोग किया है उसको समझा और आगे बढ़ गए, चाहे वह रविंद्र नाथ जी हो या विवेकानंद जी महापुरुषों के जीवन दुःख होता है।
जीवन के अधिकांश भाग में दुःख है।
दुःख क्या है ?
बुढ़ापा आ गया, धन का नुकसान हो गया, कोई दिव्यांगता आ गयी, किसी की मृत्यु हो गयी, यह सब दुःख है लेकिन कैसे माना जाए की दुख विधाता की अनुपम देन है ?
क्योंकि हम सब ने दुख का सदुपयोग नहीं किया। अगर हम दुःख से प्रभावित हो गए होते तो जीवन में आंतरिक क्रांति से गुजर गए होते।
हम सब जानते है लाख उपाय करो फिर भी दुख आता है उसको रोकने में हम सब असमर्थ है, लेकिन इतना काला पक्ष जिसका है उसका एक शानदार उज्जवल पक्ष भी है।